मंगलवार, 27 अक्टूबर 2015

क्‍या आपके बच्‍चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता?

क्‍या आपके बच्‍चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता?

प्रत्येक अभिवावक की आकांक्षा होती है कि वह अपनी सन्तान को हर सम्भव साधन जुटाकर बेहतर से बेहतर शिक्षा उपलब्ध करा सके जिससे उसके व्यकितत्व में व्यापकता आये और वह स्वंय जीवनरूपी नैय्या का खेवनहार बनें। सारी सुविधायें होने के बावजूद भी जब बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है एंव जो कुछ पढ़ते है, वह शीघ्र ही भूल जाते हैं या फिर अधिक परिश्रम करने के बावजूद भी परीक्षाफल सामान्य ही रहता है। ऐसे में बच्‍चे को डांटिये फटकारिये मत, बल्कि उसे समझाईये और उसका मनोबल बढ़ाईये। हो सकता है उसके परिणाम में सुधार आये, लेकिन फिर भी अगर उसकी परफॉर्मेंस औसत दर्जे की होती है, तो एक बार उसके स्‍टडी रूम के वास्‍तु पर ध्‍यान दीजिये। आम तौर पर ऐसी सिथतियों में वास्तु का सहयोग लेने से आश्चर्यचकित परिणाम सामने आते है। अध्ययन कक्ष में इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए कि बच्चों का पढ़ाई के प्रति रूझान बढ़े एंव मन एकाग्र होकर अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो सके।

रात को आधिक देर तक नहीं पढ़ना चाहिए रात्रि को आधिक देर तक नहीं पढ़ना चाहिए क्योंकि इससे तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध, दृषिट दोष, पेट रोग आदि समस्यायें होने की प्रबल आशंका रहती है। ब्रहममुहूर्त या प्रात:काल में 4 घन्टे अध्ययन करना राति्र के 10 घन्टे के बराबर होता है। क्योंकि प्रात:काल में स्वच्छ एंव सकारात्मक ऊर्जा संचरण होती है जिससे मन व तन दोनों स्वस्थ्य रहते हैं।